मांगों को लेकर मुखर हुए वन बीट अधिकारी/ वन आरक्षी, शासन से प्रकट की नाराजगी ।
वन बीट अधिकारी/वन आरक्षी संघ उत्तराखंड द्वारा अपनी मांगों को लेकर विगत 6 फरवरी से शुरू किया गया प्रदर्शन अपने चरम पर पहुंच रहा है।
धरने को लगातार प्रदेश के विभिन्न प्रभागों, रेंजों में तैनात वन बीट अधिकारी और वन आरक्षी अपना समर्थन दे रहे हैं।
13 फरवरी से संगठन द्वारा अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन और कार्य बहिष्कार किया जा रहा है। जिससे वन विभाग के काम लगभग ठप पड़ते जा रहे हैं। वहीं आज 15 फरवरी से फायर सीजन भी शुरू हो चुका है, ऐसे में वन बीट अधिकारी/ वन आरक्षियों का धरने पर चले जाना, वन महकमे के लिए खतरे का संदेश दे रहा है।
अपनी मांगों को लेकर टौंस वन प्रभाग और गोविंद वन्य जीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क के वन बीट अधिकारी/वन आरक्षी आज धरने के तीसरे दिन भी एकजुटता के साथ धरना स्थल पर दिखे।
सभी ने एकजुटता के साथ शासन द्वारा की जा रही अनदेखी के खिलाफ नाराजगी जताई। हाल ही में वन महकमे में उच्च अधिकारियों के हुए बंपर प्रमोशन पर चुटकी लेते हुए वन बीट अधिकारी/ वन आरक्षी संगठन द्वारा "खुद तो प्रमोशन लेते हो, हमको क्यों नहीं देते हो" जैसे नारों के माध्यम से अपनी मांगों को सरकार तक रखने की पुरजोर कोशिश की।
संगठन के पदाधिकारियों द्वारा संयुक्त बयान जारी कर कहा गया कि शासन प्रशासन के बाशिंदे वर्षों से चल रही हमारी सकारात्मक मांगों को पूरा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा कि संगठन वर्ष 2016 की वन सेवा नियमावली को पुनः लागू करने और वर्दी नियमों में संशोधन करने जैसी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहा है।
वहीं टौंस वन प्रभाग/गोविंद वन्य जीव विहार के वन बीट अधिकारी/ वन आरक्षी संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि आज तक सरकार के कोरे आश्वासन पर धरना समाप्त कर दिया जाता था, लेकिन अब जब तक मांगें पूरी लिखित आश्वासन तक पूरी नहीं होती है तब तक कार्य बहिष्कार और धरना प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा।
ऐसे में लग रहा है कि प्रदेश स्तर पर भी संगठन को मजबूती मिल रही है, जो संघ के भविष्य के लिए ग्रीन अलर्ट है।
प्रवेश नौटियाल
मीडिया प्रभारी/प्रचार मंत्री
गढ़वाल संभाग
वन बीट अधिकारी/वन आरक्षी संघ उत्तराखंड